एक पक्षी पर हिंदी कविता | प्रेरणादायक हिंदी कविता | धर्मसंकट |

एक पक्षी पर हिंदी कविता | प्रेरणादायक हिंदी कविता | धर्मसंकट | 

एक पक्षी पर हिन्दी कविता

"धर्मसंकट" कविता  आध्यात्म और धर्म दो अलग -अलग कड़ियों को एक साथ परिभाषित  करती हुई। Subscribe My Youtube Chanal

भूमिका 

अगर आप पशु प्रेमी है। आप उदारवादी एवं दयालु व्यक्ति है, तो आपको यह कविता अवश्य ही पढ़नी चाहिए। यदि आप नकारात्मक ऊर्जा से घिर चुके है, तो आपको इस कविता के अलावा मेरे इस वेबसाइट पर आकर सभी कविताओं को पढ़ लेना चाहिए। यह कविताये आपको एक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करेंगी। जिससे आपका मन एवं मस्तिष्क शान्ति एवं सुखद महसूस करेगा। आपके लिए एवं हमारे समाज के लिए इस ब्लॉग में कविताएं तैयार की गयी है। एक पक्षी पर हिन्दी कविता प्रकृति प्रेमियों एवं समाज के लिए एक सकारात्मक सन्देश प्रदान करती है। दो पंछियो पर घटित कविता समाज को अपने मार्ग से भटकने से बचाती है। चूँकि कविता आध्यात्म और धर्म पर आधारित है, तो कविता में आपको सकारात्मक पहलू ही मिलेंगे। जो कि वर्तमान समाज के लिए अतिआवश्यक विषय बन जाता है। एक पक्षी पर हिन्दी कविता 

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आज की कड़ी में पढ़िए एक पक्षी पर हिन्दी कविता   ...... "धर्मसंकट" 



 धर्मसंकट 

आसमान में उड़ता बाज।
मुझे देख रहा है आज।।

कातिल निगाहें लेकर बाज।
मुझे निगल जाएगा आज।।

तुमसे प्रार्थना है बाज।
मुझे छोड़ दो तुम आज।।

मासूम बच्चो की सुनो आवाज।
भूख से तड़प रहे है आज।।

शिकार ढूंढ रहा यह बाज।
छोड़ नही सकता मुझे आज।।

तेरे जीवन का भोजन मैं,
आसमान के बादशाह हे ! बाज ।
धर्मसंकट में फँस गयी मैं,
बलिदान हो जाँऊ कैसे आज।।

मुझे देखकर छोड़ आये हो,
अपना तुम काम -काज।
भूख अपनी मिटाने धरती पर ,
उतर गया शिकारी तू बाज।।

ईश्वर मुझ पर करो लाज।
धर्मसंकट से निकालो आज।।

सच्चा जीवन का बताओ राज।
सफ़र पर निकल गया तू बाज ।।

सहारा बनू किसके जीवन का मैं आज।
बलिदान होकर कैसे पहन लूं यह ताज।।

           (यह कविता मेरी काव्य पुस्तक "ईश्वर" से संकलित है )
                                                        ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न"

सारांश / भावार्थ / उद्देश्य

एक बाज और पक्षी का चित्रण करते हुए एक पक्षी पर हिंदी कविता में मैं कवि ईश्वर तड़ियाल ''प्रश्न '' जनमानस को आध्यात्म की राह पर चलने के लिए प्रेरित करते हुए यह बताने का प्रयास कर रहा हूँ कि मनुष्य को अपना जीवन सर्वप्रथम मानव कल्याण के लिय सुरक्षित रखना चाहिए। निजी स्वार्थ का त्याग कर मानव कल्याण में बलिदान ,मनुष्य के जीवन के साथ-साथ उसके देश , राज्य , गाँव एवं परिवार को महान बना देता है। जब इंशान धर्मसंकट में फंस जाता हैं , तो अक्सर वह अपना विवेक खो देता है। स्वार्थ की भावना में अपना प्रथम मूल कर्तव्य भूलकर धर्म की रक्षा करने में असफल रहता हैं। कभी -कभी ऐसा मोड़ भी आता है , जब इंशान के मूल कर्तव्य के साथ -साथ उसका निजी स्वार्थ भी छिपा रहता है। इस प्रकार की परिस्थिति में यदि मनुष्य अपने मूल कर्तव्य और निजी स्वार्थ को त्यागकर महान बनने की कोशिश करता है, तो यह त्याग उसके अहं की पहचान कराता है, न कि धर्म की। एक पक्षी पर हिन्दी कविता की अन्तिम पंक्ति -

"ईश्वर मुझ पर करो लाज।
धर्मसंकट से निकालो आज।।
सच्चा जीवन का बताओ राज।
सफ़र पर निकल गया तू बाज 
सहारा बनू किसके जीवन का मैं आज।
बलिदान होकर कैसे पहन लूं यह ताज।।

गहराई 

उपरोक्त पंक्ति में, पक्षी अपने मूल कर्तव्य और निजी स्वार्थ दोनों एक साथ होने पर ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ कहता है कि हे प्रभु ! मेरे जीवन की लाज रखते हुये इस धर्मसंकट में मेरा मार्गदर्शन करे । हे प्रभु ! जीवन के सत्य का मुझे ज्ञान प्रदान करते हुये अपने सफ़र पर शिकारी बाज के प्रति मेरी भूमिका का मुझे पहचान कराइए । हे प्रभु ! बाज के लिए मैं अपना जीवन समर्पित करके दुनिया की नजरो में जरूर  महान बन जाऊंगा , किन्तु हे ईश्वर ! आप की नजरो में मैं कभी महान नही बन सकता। जिस प्रकार से  भोजन के लिए मेरा  शिकार करना भूखे बाज का प्रथम धर्म है, ठीक वैसे ही निजी स्वार्थ होने के बाबजूद भी अपने  मासूम बच्चो की देखभाल करने के लिए भूखे बाज से अपनी आत्म रक्षा करना मेरा पहला धर्म है। अगर भूखा बाज मेरा शिकार कर लेता है , तो वह अधर्मी नहीं कहलायेगा।  किन्तु अगर मैंने बाज से अपनी आत्म रक्षा कर ली , तो मैं भी अधर्मी नहीं कहलाउंगी। बगैर भूख के बाज यदि मेरा शिकार करता है। तो वह ठीक उसी प्रकार से अधर्मी कहलायेगा , जिस प्रकार से यदि मेरे बच्चों के देखभाल के लिए कोई दूसरा मौजूद हो और मैं भूखे बाज से अपनी रक्षा करू। 

आध्यात्म और धर्म

आध्यात्म और धर्म दो अलग -अलग किन्तु एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जो कि हमें सही राह पर चलने के लिए  प्रेरित करते हुए हमारा जीवन  आनंदमयी एवं सुखदायी बना देता है। समय के साथ प्रतिस्पर्धा करके मनुष्य ने आज जो नींव स्थापित की है वहीं नींव आने वाले भविष्य में मनुष्य के  जीवन को समय के साथ धीरे - धीरे लुप्त कर देगा। मानव जीवन की रक्षा के लिए आवश्यक है कि हम प्रकृति के नियमों का ईमानदारी से पालन करे। किन्तु अधिकांशता मनुष्य नकारात्मक ऊर्जा से घिर चुका है। आध्यात्म और धर्म ही एक ऐसा मार्ग है जो आपके अन्दर सकारात्मक ऊर्जा उत्पन कर आपके जीवन को  एक नए दिशा प्रदान करता है। 

निष्कर्ष 

मनुष्य को हमेशा अपने विवेक एवं बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए। किसी भी कार्य को करने से पहले मनुष्य को अपना विवेक एवं बुद्धि को समाज लेना चाहिए। मनुष्य को जल्दीबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। किसी भी कार्य को करने से पहले उसके अच्छे -बुरे परिणमों के बारे में जान लेना चाहिए। सामने वाले को कभी भी कमजोर नहीं समझना चाहिए। यदि आप युद्ध क्षेत्र में है तो वार करने से पहले आपको सर्वप्रथम बिना बिलम्ब किये अपने  को सुरक्षित करना चाहिए। फिर शीघ्र ही दुश्मन की महत्वपूर्ण कमजोरी एवं तागत को समझकर वार करना चाहिए। जीवन में आपका यह वार आपको जीत ही दिलाएगा। आपकी कमजोरी एवं तागत आपके वश में होनी चाहिए। यदि आपकी कमजोरी एवं तागत आपके नियन्त्रण में नहीं है , तो आपकी विजय सम्भव नहीं हैं। चाहे आप कितने भी शक्तिशाली क्यों न हो। विवेक एवं बुद्धि के सामने आपकी तागत शून्य के सामान है। सफलता हमेशा उसी को मिलती है जो अपने अधीन है , अपने वश में है।  प्रकृति पर हिंदी कविता

विचार

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अध्यात्म और धर्म मुसाफिर पर हिन्दी कविता


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