मुसाफिर पर हिंदी कविता | ईश्वर | राह | आध्यात्म और धर्म | समाज सेवा |

हिन्दी कविता |  मुसाफिर | प्रेरणादायक हिंदी कविता | आध्यात्म और धर्म | समाज सेवा | ईश्वर | 

मुसाफिर पर हिन्दी कविता 

इस कड़ी में पढ़िए आध्यात्म और धर्म से जुड़ी मनुष्य की ईश्वर के प्रति आस्था का महत्व -



मुसाफिर 

मैं गया दर में,
एक उम्मीद लिए बाहर खड़ा कि,
कोई सेवक मिल जाय मुझे।
सपना टूट गया दर में,
निकल गया राह पर कि,
किसी मुसाफिर का साथ मिल गया मुझे।।
सेवक न मिल सका जिस दर में,
नई दिशा मिली वहाँ मुझे।
मंजिल को छूने की पहली कड़ी,
जीवन की नई सीख मिली वहाँ मुझे।।
मैं इस सपने को भूल न पाऊँ।
जीवन कि नई सीख छोड़ न पाऊँ।।
मैं राह में मुसाफिर बन जाऊँ।
समाज सेवा को गले लगाऊँ।।
                   ✍️ ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न"
(यह कविता मेरी काव्य पुस्तक "ईश्वर"से संकलित है)

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सारांश/भावार्थ /उद्देश्य 

संसार में जनमानस को  निस्वार्थ भाव से समाज सेवा के प्रति प्रेरित करना कविता का प्रथम उद्देश्य है। मनुष्य  का  मन गंगा के समान हमेशा पवित्र होना चाहिय कवि अपनी मुसाफिर पर हिंदी कविता  में ठीक उसी तरह का भाव रखते  है, जैसे महान संत कबीर दास जी अपने दोहे , " गुरु  गोविंद दो खड़े , काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय ।।''  में रखते हैं। कवि के अनुसार एक भक्त दर में एक बड़ी आशा लेकर जाता है कि वहाँ उसकी दरिद्रता को दूर करने के लिए , उसकी वर्तमान आवश्यकता की पूर्ति करने के लिये कोई सहारा मिल जायेगा। वहां कोई सज्जन पुरुष मेरी दुःख -दरिद्रता को आवश्यक ही दूर कर देगा। यहाँ के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है जहाँ मेरी आवश्यकता की पूर्ति हो जाय। मेरी दुःख -दरिद्रता को दूर करने वाला ही मेरा ईश्वर है , यह दर तो मेरे यहाँ आने का केवल माध्यम है। दर में पंहुचने पर उस भक्त की इच्छा पूर्ति न होने पर जब भक्त वहाँ से निराश होकर घर लौटता है, तो राह में चलते -चलते एक समाज सेवी उसकी आवश्यकता की पूर्ति करते हुए उस भक्त का बड़ा ही आदर करता है, समाज सेवी के रूप में ईश्वर के दर्शन होने पर ऐसा माहौल प्रतीत हो रहा था , कि मानो देवलोक से स्वर्ग  धरती पर आ गया हो । भक्त मन ही मन विचार करता है, कि जिस दर में मेरी इच्छा की पूर्ति न हो सकी , उसी दर की राह में मुझे समाज सेवा की जो प्रेरणा मिली है , उसे अपने जीवन में अपनाकर मुझे एक नई दिशा मिल जाएगी । मैं अपने जीवन में इस घटना को कभी भूलना नही चाहूँगा । इस घटना से मुझे जो सीख मिली है, वह सीख मैं  दूसरो के साथ चाहूंगा । कुछ समय पश्चात वह भक्त कड़ी मेहनत करने के फलस्वरूप  एक दिन बड़ा समाज सेवी बनकर ईश्वर की नजरों में महान बन जाता हैं।

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| धर्म और अध्यात्म मनुष्य को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है |  

आप पढ़ रहे है आध्यात्मिक  कविता का आशय 

धर्म के प्रति आस्थावान रहने वाले मनुष्य को ईश्वर अपने दर में शरण देते हैं। धर्म के प्रति मनुष्य की आस्था गुरु के माध्यम से ज्ञान प्रदान करती हुई ईश्वर के साक्षात दर्शन कराती हैं। किन्तु सांसारिक लोभ माया अथवा  अज्ञानता के कारण मनुष्य अपने धर्म के मार्ग पर चलने में असफल हो जाता है। धर्म मनुष्य को बुराइयों का त्याग एवं अच्छाइयो को ग्रहण करना सिखाता है। धर्म का अर्थ समस्त  प्राणियों का कल्याण करने से है।  इस धरती में मनुष्य ही एकमात्र प्राणी है जो समस्त प्राणियों की सेवा कर सकता है। मनुष्य की आवश्यकता की पूर्ति मनुष्य ही करता है। बिना स्वार्थ की भावना से आपका ज्ञान एवं ईश्वर के प्रति आस्था मनुष्य सहित समस्त प्राणियों को अपना बना देती है।    होम पेज पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करें Click Here

अपील 

आशा करता हूँ आपको कविता अथवा पोस्ट प्रेरणादायक  लगी  होगी। यदि वास्तव में कविता अथवा पोस्ट प्रेरणादायक है तो  किसी मनुष्य की आवश्यकता की पूर्ति के लिए अथवा जीव ,जन्तु  आदि के संरक्षण के लिए कविता अथवा पोस्ट को इस आशय के साथ शेयर करे कि आवश्यक लोगो / जीव संरक्षण की सहायता के लिए किसी सम्पन व्यक्ति को प्रेरणा  मिल जाय।

विचार 

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15 टिप्पणियाँ

  1. तड़ियाल जी आपने वाकही गागर में सागर भरा है. .. .. 👌👌👍👍💐💐🙏

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  2. Namste sir. बहुत ही सुंदर/गरिमामय कविता.भावार्थ उससे भी गजब.

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  3. बहुत ही सुन्दर ब्लॉग असीम शुभकामनाएं एवं बधाईयां

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  4. बहुत सुन्दर।मजा आ गया भाई।

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  5. बहुत सुन्दर रचना और भावार्थ सहित।लिखते रहो बहुत सुन्दर लिखते हो भाई।

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  6. बहुत सुन्दर रचना। सुन्दर लिखते हो भाई।जारी रखे।

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  7. बहुत सुंदर भाई साहब ।।

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  8. तड़ियाल जी आपने वाकही गागर में सागर भरा है. ... 👌👌👍👍💐🙌💐❤

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