नारी पर हिन्दी कविता
एक भारतीय नारी को त्याग की मूर्ति कहा जाता है , मर्यादित कहा जाता है। समाज की कमियों के कारण भारतीय नारी को हमेशा से ही कष्ट सहन करना पड़ रहा है। समाज के प्रत्येक वर्ग को नारी का सम्मान करना सीखना चाहिए । कष्ट सहन करने वाली एक असाधारण नारी जब विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी मर्यादा का ख्याल रखकर देश एवम परिवार की संस्कृति की रक्षा करती है, तो धरती में इस असाधारण नारी के दर्शन के लिए ईश्वर स्वयं बार -बार अवतार लेते है। होम पेज पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करें Click Here
आईये नारी की महिमा का वर्णन करते हुए इस कड़ी में पढ़िए ---" रिश्ता"
अनुरोध - उद्देश्यपूर्ण कविता के बाद भावार्थ एवं सारांश भी अवश्य पढ़ियेगा।
नारी पर हिंदी कविता | रिश्ता | स्त्री | भारतीय नारी | नारी शक्ति |
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नीचे आप नारी पर हिन्दी कविता "रिश्ता " पढ़ने जा रहे है।
रिश्तों की सुन्दर डोर हाथ में,
बन्धन एक सवेरा बना।
कदम बढ़ते गए जिनके हर रोज,
उनका मंजिल में नया डेरा बना।।
रिश्तों की मर्यादा को छूकर,
मंजिलों का स्वर्ण महल बना।
पथ में कच्चे धागों का रहस्य,
फूल -मालाओं से हार बना।।
दिल में कैसी कसक रिश्तों में,
अश्रुओ से तू झील न बना।
जीवन सींच अश्रु जल से तू,
इस मन को एक गाथा न सुना।।
काँटो में फूल समझकर रिश्ता,
एक दिन फूलों की याद दिलाना।
तन में कांटे चुभे अगर,
हाथों में तुम फूल उठाना।।
काँटो की चुभन पर तू निर्बला,
आज दुनिया को नारी की पहचान बताना।
काँटो में जब फूल उग जाय रिश्ता,
उस दिन तुम काँटो की याद दिलाना।।
रिश्तों की उलझन में नारी,
तुम एक नई किरण दिखाना।
सच्चाई की माँग भरकर,
जीवन की एक कविता सुनाना।।
रिश्ता एक प्रेम मन का,
झूठी कसम तुम न खाना।
हाथ कट गया जिस दर्पण से,
उसे देख खुद को संवारना ।।
अश्रु धारा में निरन्तर बहकर,
तुमने गंगा का रूप लिया।
एक -एक अश्रु तेरा गंगाजल,
जीवन का तूने तर्पण किया।।
दिल मे रिश्तों की मर्यादा तेरी,
दिए कि तरह जलती रही।
तू एक अबला नारी रिश्तों की,
प्रेम आग में तू तपती रही।।
रिश्तों की मर्यादा में जलकर,
तू फटकर ज्वाला बन गयी।
कांप उठी मर्यादा की धरती,
तू नई क्रान्ति ला गयी।।
बिखरे हुए फूलो का हार ,
तू वापस घर ला गयी।
काँटो को फूल बना करके ,
रिश्ता तू एक बचा गयी।।
(यह कविता मेरी काव्य पुस्तक "ईश्वर"से संकलित है)
- ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न"
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सारांश/भावार्थ/उद्देश्य
नारी पर एक कविता " रिश्ता" में कवि ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न' नारी के सुख व दुःख का वर्णन करते हुए कहते है कि -
वर्णन
एक नारी के हाथों में रिश्तों की जो फसल होती है ,उस फसल में समाकर वह नारी सम्पूर्ण जगत में एक नई सुबह की भाँति खिलकर हमे फूलों की खुशबू निरन्तर प्रदान करती रहती है। महिलाओं ने प्रत्येक क्षेत्र में पुरुष की भाँति अथवा परिवार एवं समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर अतुल्नीय कार्य करते हुए जो योगदान देश एवं समाज सहित अपने परिवार को प्रदान किया हैं। उन विशिष्ट कार्यो अथवा योगदान से ही सही दिशा में किये गए कार्यो से महिलाओं की भूमिका को ''नारी शक्ति'' के नाम सम्बोधित करते हुए नारी जाति का एक गौरव स्थापित हुआ है। किन्तु हमारा समाज उनकी सुन्दर भावनाओं को अपने अहम के कारण किसी दूसरे छोर पर छोड़ कर चले आते हैं। वर्तमान समय में यह बात प्रत्येक समाज के लिए कहना न्यायोचित नहीं होगा। जिस प्रकार से जीवन में सुख एवं दुःख दोनों का आगमन होता है , जिस प्रकार से ऋतुएँ बदल जाती है , प्रकृति के इसी नियम पर संसार चलता है। यदि यह सत्य है तो ठीक इसी प्रकार से सम्पूर्ण रूप से सर्वगुणी न तो पुरुष है और न ही महिला। कदाचित पोस्ट नारी की महिमा के बारे में लिखी जा रही है किन्तु सम्पूर्ण रूप से महिलाओं को सर्वगुणी कहना भी न्यायोचित नहीं होगा। सम्पूर्ण रूप से तो नहीं किन्तु महिलाओ के प्रति समाज का जो नजरिया बदला है, उससे संस्कारो के जो अंकुर फूट रहे है, मुझे विश्वास है कि एक दिन भारत महान जरूर बनेगा। भारत पुनः विश्व गुरु जरूर बनेगा। कवि ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न" एक पति और पत्नी के रिश्तों को लेकर एक दुःखी , लाचार और विवश नारी से कहते हैं कि हे ! देवी , जिस छोर तू खडी है। होम पेज पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करें Click Here
| भारतीय संस्कृति में मानवता के दर्शन होते है , इसलिए भारतीय संस्कृति को पतन होने से बचाये |
वहीं से रिश्तो की मर्यादा का ख्याल रखकर अपने आँगन की मिट्टी को प्यार भरे हाथों से स्पर्श करके अपने पूरे परिवेश को सुगन्धित कर , जिस मिट्टी में तू कदम रख रही है उस मिट्टी को उपजाऊ बनाकर अपने घर को , अपने समाज को, अपनी संस्कृति को, अपने देश को , तन एवं वस्तु को सुंदरता एवं सुख प्रदान करने वाला स्वर्ण की भाँति हरा - भरा एवं खुशहाल बना दे। अथार्त कष्ट भोगने पर भी अपने अंदर इतनी क्षमता पैदा कर कि तू समाज में अपने एवं अपने परिवार का नाम रोशन कर सके। तुझे जिस कँटीले मार्ग पर चलने को कहा गया है ,उस मार्ग पर चलकर तेरे बदन के जो वस्त्र फट रहे है उन फट रहे वस्त्रों से निकलने वाले कच्चे धागे का रहस्य तेरे मुखमंडल पर साफ़ दिख रहा है । किन्तू तू धैर्य से काम कर ,शांत मन से वापस घर जाते-जाते तेरे वस्त्रों से निकल रहे इन कच्चे धागो से, उन कँटीले पौधों के फूलों से जिसके कारण तेरे वस्त्र फट रहे है, निर्मल गंगा की भाँति , पवित्र मन से फूल -मालाओं का सुन्दर हार बनाना। अथार्त तुझे जो भी कष्ट उत्पन हो रहा है , उस कष्ट में परिवार एवं समाज के खातिर सुख ढूंढ़ने की कोशिश करना । होम पेज पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करें Click Here
| नारी का सम्मान - आपका सम्मान |
हे ! निर्दोष नारी , तेरा जो अपमान हुआ है उसको तू दिल में बैठाकर न रख, उठ अपने आंसू बहाकर तुम अपने ही घर को झील न बनाओ। अथार्त परिवार में तुझे जो अपमानित किया गया है उसका बदला लेने के लिए तो कोई योजना न बना। तू दुखयारी , इस प्रकार का कदम न उठा। मेरा तो यही मानना है कि अपने अँगने के आगे तू जो हरे-भरे पौधे देख रही हैं , इन आंसुओ से उन हरे-भरे पौधों को सींच। अथार्त अपने बच्चों के भविष्य के खातिर दुःख के इन आँसुओ की कीमित व्यर्थ न जाने दे। मेरा यह मानना है की मन में बार-बार अपमान का विचार सम्पूर्ण रूप से तू त्याग दे। भूलकर भी तुम अपने व्याकुल मन को कभी दुख की शरण न देना। जो रिश्ता तुम्हारे लिए कांटे बनकर आज खड़ा है उसे तुम फूल समझकर एक दिन अपने पुराने खुशनुमा , आनन्द-विहार के दिन याद दिलाना। हे देवी ! मुझे विश्वास है कि काँटे में एक दिन जरूर फूल खिलेगा। यदि कांटा चुभ जाय तेरे कोमल हाथों में तो घबराना नही अपितु उस काँटे का फूल तुम अपने हाथों में उठा लेना। अथार्त आज की वर्तमान स्थिति में जिस परिवार ने तुझे पीड़ा सहने के लिए मजबूर कर दिया है। तेज धूप से कष्ट पंहुचाने वाले सूर्य की भाँति जिसके बिना मनुष्य जी नहीं सकता। ठीक उसी प्रकार तुम घबराना नहीं अपितु जिस प्रकार पृथ्वी सूर्य से जो सुख - दुःख का भोग करते हुए निरन्तर सूर्य की परिक्रमा करती रहती है तुम भी इस पृथ्वी की भाँति अपने परिवार को एक शीतल दीपक की तरह महसूस करना। और उस तेज धूप को हमेशा नजर अंदाज करते हुए निरन्तर आगे बढ़ते रहना।
| जनहित में करोना फैलने से बचाये । घर में रहिये , सुरक्षित रहिये |
हे शक्ति ! मैं जानता हूँ कि तू हमेशा कष्टों में जी रही समाज की नजरों में एक अबला नारी है, उठ आज दुनिया को नारी शक्ति की पहचान बताओं । जब तुम्हारा रिश्ता काँटे से फूल बन जायेगा , उस दिन तुम अपने बदन पर चुभे हुए काँटो को उस फूल से जरूर दिखाना अथार्त जब तेरे द्वारा किये गए प्रशंसनीय कार्यो से परिवार को तुझ पर जब गर्व होगा तो अहं की भावना त्यागकर तू पवित्र मन से इस वर्तमान सुख को उस बीते हुए दुःख की व्यथा एक बार जरूर सुनाना । हे कल्याणी ! रिश्तों की उलझन में तुम धैर्य बांधते हुए एक घर को , इस समाज को एक नई दिशा दिखाना। जीवन मे सच्चाई के मार्ग पर चलकर तुम भी मेरी तरह कविता सुनना। रिश्ता तो हमेशा एक प्रेम मन का होता है चाहे वह पति-पत्नी हो , भाई -बहिन हो, दोस्त अथवा गुरु -शिष्य हो । इस बीच हे दयालु ! तुम कभी झुठी कसम न खाना। हाथ कट गया तेरा जिस दर्पण से , उसी दर्पण को देखकर तुम अपना सम्पूर्ण जीवन संवारना अथार्त विषम अति गम्भीर संवेदनशील समस्या को छोड़कर अगर तुझे जीवन में कोई कष्ट मिल रहा है तो तुझे चाहिए कि उसका कोई सकारात्मक उपाय निकाल कर जीवन को सही राह पर लाया जाए। विषम अति गम्भीर संवेदनशील समस्या होने पर जीवन में कष्टो को सहन करते -करते तेरे आँखों से जो आँसू बह रहे हैं उन आँसुओ ने पवित्र गंगा का रूप धारण कर लिया है। होम पेज पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करें Click Here
| सबसे बड़ा धन कन्या धन है , जिसका दान करने पर मनुष्य को सबसे बड़ा मोक्ष एवं पापों से मुक्ति मिलती हैं |
एक - एक आँसू तेरा गंगाजल है, जिसमे तुमने अपना जीवन तर्पण कर दिया हैं अथार्त जब बात तेरे बस से बाहर हो गयी है तो मैं भी मूक खड़ा तेरे कष्टों को , तेरी पवित्रा एवं समर्पण की भावना के बाद यह प्रलयकारी रूप देख रहा हूँ। हे गंगा ! तेेरे दिल मे हमेशा रिश्तों को जीवत रखने के लिए उनके प्रति हमेशा मर्यादा रही, जिसमे दिये की भांति तू रोशनी प्रदान करती गयी, किन्तु रिश्तों में समाज ने तुझे केवल अबला का ही दर्ज दिया। फिर भी तू सब कुछ सहन करती गयी, मधुर रिश्ते बनाये रखने के लिए अपनी प्रेम वाणी से तू दुनिया की घृणा में जीती आ रही हैं। किन्तु आखिरकार रिश्तों की रक्षा करते -करते हे तेजस्वनी ! तेरा स्वाभिमान इस प्रकार से जागा कि फटकर ज्वाला तू बन गयी हैं। हे काली ! तेरा रूप देखकर यह अबला धरती ज्वर की भांति कांप रही है, और मैं खड़ा देख रहा हूं कि तू एक नई क्रांति ला गयी है, बिखरे हुए फूलों का हार तू वापस घर ला गयी हैं। काँटो को तूने फूल बना लिया और हे ! लक्ष्मी घर का यह रिश्ता तूने अपने विवेक, बुद्धि , सहनशीलता , समर्पण ,राग -द्धेष के बिना , अपनी संस्कृति एवं संस्कारों से आज बचा लिया हैं। इति....
विचार
आशा करता हूँ कि आपको पोस्ट अच्छी लगी होगी। यदि पोस्ट प्रेरणादायक एवं नारी के सम्मान में लिखी गयी है तो पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करते हुए मेरा मनोबल बढ़ाने में सहयोग प्रदान करे , ताकि आगे आपके सहयोग ,प्यार एवं आशीर्वाद से हिंदी काव्य एवं साहित्य के क्षेत्र में मैं एक अच्छी भूमिका निभा सकू।
आप My Hindi Poetry ब्लॉग पर Visit कर रहे हैं। ब्लॉग आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं स्वागत करता है।
सम्बन्ध
(यह मेरे अपने निजी विचार /लेख है जो कि पूर्णतः Copy Right Act के अधीन है)
© ✍️ ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न"
19 टिप्पणियाँ
बहुत सुंदर तड़ियाल जी
जवाब देंहटाएंBahut अच्छा तड़ियाल जी आपकी कविता का सार दिल को छू गई .. .. ❤👏👏💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सर l
जवाब देंहटाएंनारी की मनोदशा को आपने अच्छे शब्दों के साथ प्रस्तुत किया है l
बहुत बहुत शुभकामनाएं l
Bahut sundar
जवाब देंहटाएंBahuth sunder kavita hai nari ke mahtaw ka sunder chitaran
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर तड़ियाल जी बहुत अच्छी अभिव्यक्ति है।
जवाब देंहटाएंनारी के मनोभावों का बहुत सटीक चित्रण किया है कवि महोदय।
जवाब देंहटाएंआपकी कविताएं बहुत ही प्रेरणा दायक है sir
जवाब देंहटाएं" आपका यह सपना , देश बनेगा विश्व गुरू अपना ।
जवाब देंहटाएंहोगा साकार , नारी शक्ति को मिलेगा सम्मान अपार ।।
'ईश्वर जी' नाम के अनुरूप , आप स्वयं हैं परमात्मा के स्वरूप ।
लेखनी आपकी देगी नारी जीवन को सम्मानित आधार ।
तभी तो लक्ष्य प्राप्ति हेतु आते हैं अपार उद्गार ।।"
-- बहुत सुन्दर व सारगर्भित लिखते हैं सर ।
-- आपकी लेखनी अविरल धाराप्रवाह इसी तरह समाज को दिशा दे - ढ़ेरों शुभकामनाएं ।
आपका सब का दिल से बहुत -बहुत आभार 🙏🏻🙏🏻🌹🌷
जवाब देंहटाएंVery nice very true lines 👌👍
जवाब देंहटाएंशानदार खूब भुला लज्ञा रावा बड्या सृजन कना आप
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना एवं विचार समाज में जन जागृति हेतु अनुपम और उत्कृष्ट
जवाब देंहटाएंबहुत ही बाडिया भाई आप जैसा हीरा कब से हमारे आसपास था और मेरे को पता ही नही चला ।
जवाब देंहटाएंआपकी इज्जत मेरी नजरो में अब और भी बढ़ गई है बहुत बाडिया 🙏 और शुभकामनाएं
आपक सभी का सहयोग, प्यार एवं स्नेह के लिए मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूँ।🙏🏻🙏🏻
जवाब देंहटाएंTariyal ji bhut sundar kavita
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर काव्य रचना।
जवाब देंहटाएंVery nice weldone
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar blog tariyal ji. Aap desh me dusre Sri vastav hai. Aapki sabhi kavitaoo me samaj ka vatwik chitran hota. Many congratulatiin
जवाब देंहटाएंआपको पोस्ट कैसी लगी , अपने सुझाव अवश्य दर्ज करें।