यह दोस्ती पर कविता पढ़कर आपको अवश्य ही अपनी बचपन की दोस्ती याद आ जाएगी। अपने बचपन का खास सखा अथवा सहेली की याद , उसकी तस्वीर आपकी आँखों में एक पल के लिए ठहर जाएगी। कच्चे धागे से बंधी हमारी बचपन की दोस्ती के बीच में प्रतिस्पर्धा , ईर्ष्या , क्रोध पलभर में ही ओझल हो जाते थे। दया , प्रेम एवं सहयोग से हम एक -दूसरे को सदा ही प्रसन्नचित एवं आनन्दित देखना चाहते थे। हमारी दोस्ती में किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता था।
दोस्ती
सखा
जीवन की गहराई में जाकर,
कुछ क्षण तुमसे बात करके,
पूछ लिया हाल सखा तुम्हारा।
बचपन के तुम सखा पाकर,
कसूर दिल का समझा करके,
गुजरा समय कवि असहाय तुम्हारा।
तीर जुंबा पर है तुम्हारी ,
आँखों से तुम हे ! सखा ,
मत बना मुझे तू आज निशाना।
नई परीक्षा है तुम्हारी,
मेरी यादों को दिल मे बसाकर,
दोस्ती की तुम आज कसम निभाना।
उठकर मैं ईश्वर की प्रार्थना कर के,
द्वंद के लिए तू सखा है तैयार।
कुंठित मन प्यासा कवि,
पकड़ लिया सखा तुमने अपना हथियार।।
गुजरा समय कवि असहाय तुम्हारा।
आज देख लिया हाल सखा तुम्हारा।।
सहारा बना जिस सखा का हमेशा,
सुबह की खोज में निकले कवि,
पहली सूर्य किरण देखकर,
कवि असहज होकर गिर पड़े.........
धरती ने आज गोद में उठाकर पुकारा,
आत्मा तेरी हे ! कवि, सूर्य किरणों में जगा।
तेरी गोद में मिल गया सहारा,
आँचल हे ! धरती माँ......
आँसुओ से आज तेरा भीगा।।
उठाया है जिसे तूने गोद में माँ,
तुझसे कह रहा है कवि,
गोद में कितने असहाय सखा,
असहज होकर गिर पड़े.......
क्योंकि
इस जीवन का ईश्वर कुम्हार,
कवि कच्ची मिटटी का गमला।
महापुरुष ज्ञान रूपी माली,
मैं गुरु गले मे फूलों की माला।।
- ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न"
10 टिप्पणियाँ
👏👏
जवाब देंहटाएंVery nice poem ishwar bhai
जवाब देंहटाएंV.nice
जवाब देंहटाएंदिल को छू लेने वाली कविता, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंVery nice poem tariyal ji
जवाब देंहटाएंBahut marmik kavita h. Nice
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंअति उत्तम
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंAti sundar bandhu
जवाब देंहटाएंआपको पोस्ट कैसी लगी , अपने सुझाव अवश्य दर्ज करें।