एक अनजानी सी हिंदी कविता | बलिहारी | जिन्दगी | श्रृंगार रस | कवयित्री लक्ष्मी चौहान

एक अनजानी सी हिंदी कविता | बलिहारी | जिन्दगी | श्रृंगार रस | कवयित्री लक्ष्मी चौहान


एक अनजानी सी 

कौन है और कैसी है वो
      जिसके इन्तजार में पलकें बिछी हैं।
एक आहट से ही उसकी,कानों में
      फुसफुसाहट -सी होने लगती है।
हुस्न की मल्लिका है या
      स्वर्ग की अप्सरा है वो
सोचकर ही दिल में
     छटपटाहट -सी होने लगती है।
सुना है दुनिया से,
    दीदार हो जाए जो उसका
तो सूनी आँखों में भी
     चमचमाहट - सी होने लगती है।
सामने से गुजरेगी जब वो
    तो क्या होगा महफिल में
महसूस करूँ तो बदन में
    सरसराहट - सी होने लगती है।
देखकर मुझको,जब वो
     हँस देती है खिलखिला के।
सच कहता हूँ यारों,बादलों में भी
     गड़गडा़हट- सी होने लगती है।

हर बार तुम्ही पर बलिहारी

जब भी देखू मैं छवि तेरी
सुन्दर और प्यारी ,
तब तू मन मेरा हर्षा जाए
लगती अनुपम मनहारी।।


मैं जल -तरंग की लहरों सा
तुम शान्त बहता पानी ,
मैं मूक दर्शक -सा बना रहूं
तुम दृश्य मनोहर सुकुमारी।।


मैं वीणा के तारों -सा
तुम मधुर स्वर लहरी।,
मेरे जीने की एक आशा
तुम जीवन की हो प्रहरी।।


मैं साँझ का डूबता सूरज
तुम भोर की उजियारी
मैं रातों का जलता दीपक ,
हर बार तुम्हीं पर बलिहारी।।


मैं दोपहर का तपता सूरज
तुम चाँद की चाँदनी
तुम शमा हो ,मैं परवाना
हर बार हमने दी कुर्बानी।।

जिन्दगी में मेरी वो

दूर तलक फैली
मखमल -सी कोमल चादर
उसमे बिखरे सपनो के अनगिनत रंग।

एक अल्हड़ -सी कूदती ,उछलती ,
मचलती , बलखाती हिरनी।

झील-सी गहरी दो आँखे
और सपनों से लदी पलकें
उनमें डूबता सूरज संग मैं।

बेपरवाह हवा में झूलती लताएं
जिनमें मन उलझकर रह जाए। 


और भीनी -सी उड़ती खुुुशबू
कहीं दूर फलक तक ले जाए। 


मन को मदहोश कर दे ऐसे
होश वाला भी होश खो जाए।

ख्वाब की रानाई , मीर का अदब,
झीनी सी हया और नूर गजब।

उसके चेहरे को देखता हूँ तो
जिंदगी ठहर -सी जाती है
जिंदगी में मेरी वो
कभी जिंदगी बन जाती है।
 
-कवयित्री लक्ष्मी चौहान

यह भी पढ़िए -

और अधिक प्रेरणादायक कविता एवं लेख पढ़े -

Watch Short Motivational Youtube Vedio-

देखिए हिंदी एवं अंग्रेजी में सामान्य ज्ञान यूट्यूब विडियो -

देखिए अन्य हिंदी प्रेरणादायक यूट्यूब विडियो -



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ