हैलो प्यारे बच्चों एवं साथियों ! हमें गर्व हैं कि स्व0 श्री इन्द्रमणी बड़ोनी जैंसे महान सामाजिक कार्यकर्ता ने देवभूमि उत्तराखण्ड में जन्म लिया। 24 दिसम्बर को उनका जन्मदिन हम लोक संस्कृति दिवस के रूप में मना रहेे है। लोक संस्कृति दिवस पर हम उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते है। उत्तराखंड आंदोलन के सूत्रधार सबके प्रेरणास्रोत स्व0 श्री इन्द्रमणि बड़ोनी जी की संक्षिप्त जीवनी एवं सामाजिक कार्यो के साथ -साथ उनके विचारों की जानकारी देवभूमि उत्तराखण्ड के बच्चे , बुजुर्ग ,युवक -युवती के लिए जानना बहुत गर्व की बात हैं।
जीवनी एवं सामाजिक कार्य
श्री इन्द्रमणि बड़ोनी का जन्म 24 दिसम्बर 1925 को उस समय के टिहरी रियासत के जखोली ब्लॉक के अखोड़ी गांव में हुआ था। इंद्रमणि बड़ोनी के पिता नाम पं. सुरेशानंद बडोनी था। इंद्रमणि बडोनी की प्रारम्भिक शिक्षा गांव में ही हुई एवं माध्यमिक व उच्च शिक्षा नैनीताल और देहरादून में हुई थी। 19 वर्ष की आयु में सुरजी देवी से इनका विवाह हो गया था। महात्मा गाँधी जी के विचारो से प्रभावित होकर श्री इन्द्रमणि बड़ोनी जी सन 1953 से सामाजिक कार्यो में तन -मन से समर्पित हो गए। ग्राम प्रधान के साथ -साथ श्री इन्द्रमणि बड़ोनी जी एक कुशल राजनैतिक नेता भी रहे है। संस्कृति और परम्पराओं से उनका गहरा लगाव था। छोटी एवं बड़ी कई जगहों पर इन्होंने लोक गाथाओं का मंचन भी किया।
सड़क , शिक्षा, स्वास्थ्य ,बिजली ,पेयजल आदि विकास योजनाओं पर जोर दिया। 1977 में विधान सभा चुनाव में निर्दलीय जीत हासिल कर उत्तराखंड में विद्यालयों का सबसे ज्यादा उच्चीकरण उसी दौर में हुआ। समय के साथ -साथ श्री इन्द्रमणि बड़ोनी जी 1980 में उत्तराखंड क्रांति दल के सदस्य बने। श्री इन्द्रमणि बड़ोनी जी कई जनहित आन्दोलन में भाग लेते हुए मुख्य भूमिका में भी रहे। 1994 उत्तराखंड राज्य आंदोलन के श्री इन्द्रमणि बड़ोनी जी सूत्रधार थे। 2 अगस्त 1994 को पौड़ी प्रेक्षाग्रह के सामने आमरण अनशन पर बैठकर आंदोलन पूरे उत्तराखंड में फ़ैल चुका था। जनता के दबाब में 30 दिन बाद इन्होने अपना अनशन तोड़ा।
उस दौरान बीबीसी ने कहा था , "यदि आपने जीवित एवं चलते -फिरते गाँधी को देखना है तो आप उत्तराखंड की धरती पर चले जायें। वहाँ आज भी अपनी उसी अहिंसक अन्दाज में विराट जनांदोलनों का नेतृत्व कर रहा है। तभी से श्री इन्द्रमणि बड़ोनी जी को "उत्तराखंड का गाँधी" उपनाम से जाना जाता है। इस ऐतिहासिक जनांदोलन के बाद भी श्री इन्द्रमणि बड़ोनी जी उत्तराखंड राज्य के लिए जूझते रहे। वृद्ध श्री इन्द्रमणि बड़ोनी जी बीमारी के कारण 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत अनंत यात्रा की फ महाप्रयाण कर गए। उत्तराखंड राज्य निर्माण एवं सामाजिक कार्यो के लिए उनके योगदान को हमेशा याद रखा जायेगा। जय उत्तराखण्ड।
-ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न "(लेखक/एडमिन )
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