रशिया -यूक्रेन युद्ध | Russia-Ukraine War

रशिया -यूक्रेन युद्ध | Russia-Ukraine War

कोविड -19 के कारण पिछले दो -तीन वर्ष से चल रही परिस्थितियाँ मनुष्य जाति के विकास एवं उत्थान के लिए बाधक सिद्ध हुई है। कोविड -19 ने महामारी का रूप धारण करते हुए विश्व में जो दहशत पैदा की है उसे शायद ही मानव जाति कभी भूल पाए। दुनिया इस महामारी से उभर ही रही है कि रशिया और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध एक और महामारी को निमंत्रण दे रहा है।

जिसमे मानव जाति के अलावा सम्पूर्ण प्राणिजगत का विनाश दिख रहा है। केवल व केवल सत्ता एवं ख्याति के लालच में दुनिया ने अपना कद इतना छोटा कर लिया है कि उसे प्राणिजगत की कोई भी परवाह नहीं हैं। दुनिया भूल रही है कि अगर इस जगत में मनुष्य एवं प्राणी, देश एवं शहर ही नही रहा तो सत्ता एवं ख्याति कहाँ रहेगी। देश एवं शहर जब सुरक्षित रहेंगे तभी दुनिया सुरक्षित है। करोनाकाल में लिखी गयी मेरी एक पोस्ट आप भी पढ़िए -

"आज भारत सहित लगभग सम्पूर्ण विश्व कोविड-19 महामारी से गुजर रहा है। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि मानव जीवन महामारी से संकट में है। फ्लू, एचआईवी-एड्स, द ब्लैक डेथ, हैजा, प्लेग जैसी महामारी में भी इंसान ने अपनी जान गंवायी है। उत्पन्न महामारियों में निःस्वार्थ भाव से अपनी सेवा देकर बलिदान हुये नायकों को पवित्र आत्मा से श्रद्धाजंलि अर्पित की गयी होगी। एक बार फिर आज दुनिया ने मानव जाति को "रत्न" कहकर ईंशानियत का जो परिचय दिया है उससे निःसंदेह आपका मन आनन्दित हो उठा होगा। किन्तु आश्चर्य इस बात का है कि एक तरफ विज्ञान का अपहरण करके दुनिया ने चन्द्रमा पर घर बना लिया, देश के लिए महाप्रलयकारी भयंकर अस्त्र-सस्त्र बना लिया है। दूसरी तरफ दुनिया की लापरवाही से विज्ञान ने आज तक मानव जीवन की सम्पूर्ण रक्षा की जिम्मेदारी कभी भी नही ली है। इसका आंकलन करना मुश्किल है कि कोविड-19 आज के युग की दुनिया के लिए शाप है या वरदान। विज्ञान इस महामारी में मानव जीवन की रक्षा करने में यदि कामयाब हो जाता है तो निःसंदेह कोविड-19 मानव जाति एवं हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए वरदान साबित होगा। फलस्वरूप दुनिया को अपने स्वभाव, अपनी नीतियों में परिवर्तन करने के लिए मजबूर होना ही पड़ेगा। दुर्भाग्यपूर्ण अगर ऐसा नही होता है तो कोविड-19 दुनिया मे मानव जाति के लिए शाप बनकर ही रह जायेगा। कोविड-19 से सामाजिक,आर्थिक कार्यक्षेत्रों पर जो प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, उसकी भरपाई तो की जा सकती है किन्तु इससे हुई जन हानि की भरपाई बड़ी कीमत अदा करने पर भी नही की जा सकती। इसलिए हमें कोविड-19 से बचाव के सारे नियमों का ईमानदारी से पालन करना है। अति आवश्यक कार्य पड़ने पर ही सुरक्षा के साथ घर से बाहर निकलना है। हमारा कर्तव्य है कि हम समाज को कोविड-19 से बचाव के उपाय बताते हुये नियमों का अनुपालन करने का सुझाव बार-बार बताते रहे। यदि हम सम्पन्न व्यक्ति है तो कोविड-19 पीड़ित परिवार , सरकार की हमे सहायता करनी चाहिये। यदि हम कोविड-19 राहत एवं बचाव कार्यो में सेवाये दे रहे है तो हमें ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठा का पालन कर एक अच्छे नागरिक होने का परिचय समाज को देना चाहिए। प्रतिकूल परिस्थितियों में इस प्रकार के कार्य करना किसी वरदान से कम नहीं हैं।"

देश की रक्षा करना या भविष्य में देश पर सम्भावित खतरे से देश को सुरक्षित रखना प्रत्येक राष्ट्र की प्रथम एवं सर्वोच्च नीति होती है। देश की रक्षा करना देश के प्रत्येक नागरिक का राष्ट्रधर्म है। प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व में शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन हुआ। किन्तु इस गठन के बाद भले ही कोई परमाणु बम न गिरा हो किन्तु दो या दो से अधिक देशो के बीच युद्ध को रोका नही जा सका है। जो व्यक्ति युद्ध में अपना प्राण गवां चुका है जिसने अपनो को खोया है उन पर तो परमाणु बम उसी समय गिर गया था जिस दिन उन्होंने देश की रक्षा करते -करते अपने प्राण दे दिए थे । दुनिया या युद्ध करने वाले दो या दो से अधिक देश इस दृष्टिकोट को हमेशा ही नजरअंदाज करते है। यदि वह इस दृष्टिकोट को नजरअंदाज नहीं करते तो युद्ध होता ही नही। विश्व में शांति ही शांति होने के कारण मनुष्य का कद बढ़ता। एक नई उम्मीद एवं आशा के साथ हम सब मानव जाति के सकुशल जीवन के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते है कि दो देशो के बीच चल रहा यह युद्ध जल्दी ही शांति में परिवर्तित हो।

                                                                        - ईश्वर तड़ियाल "प्रश्न "

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